- कथा के दूसरे दिवस भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का किया गया वर्णन
- कहा, भगवान शिव की पावन गाथा को श्रवण करने मात्र से अनेकों कर्म संस्कारों का नाश होता है
देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा रामलीला ग्राउन्ड, रोहिणी, सेक्टर-24, विकास भारती पब्लिक स्कूल के सामने, दिल्ली में 4 से 10 दिसम्बर 2023 तक भव्य सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी गरिमा भारती जी ने भगवान शिव की महिमा का रसास्वादन करवाया। साध्वी जी ने कथा के दूसरे दिवस बताया कि यह समस्त धर्म ग्रंथ हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा हमें प्रदत एक अनमोल धरोहर है।
प्रभु का जीवन चरित्र आज मानव समाज के लिए एक प्रेरणा स्तंभ है। प्रभु की पावन कथा रूपी गंगा में जिस समय एक व्यक्ति आकर गोता लगाता है तो वह अपने कर्म संस्कारों की कालिमा से स्वयं को पवित्र बना लेता है। साध्वी जी ने कहा कि भगवान शिव का प्रतिमा स्वरूप उनके साकार स्वरूप को दर्शाता है तो उनका ज्योतिर्लिंग स्वरूप निराकार स्वरूप की ओर इशारा है। एक तत्व से न जुड़े होने के कारण आज हमारे दृष्टि में भेद है। कोई प्रभु श्रीराम को मानता है, तो कोई भगवान श्री कृष्ण को, कोई भगवान शिव की पूजा करता है, तो कोई आदि शक्ति मां जगदंबिका की। लेकिन वास्तव में ज्ञान नेत्र के अभाव के कारण हम इन सब समस्त शक्तियों को अलग अलग मानकर उनकी पूजा करते हैं। यह तत्व स्वरूप से एक ही है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी आज दिव्य दृष्टि प्रदान कर समाज को उस एक परम शक्ति से साथ जोड़ रहे हैं। कथा के अंत में प्रभु की आरती के साथ कथा को विराम दिया गया।