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गर्भनाल को क्लैंप करने में विलंब करके समयपूर्व जन्मे शिशुओं की मृत्यु के जोखिम को आधे से ज्यादा कम किया जा सकता है

नई दिल्ली। सिडनी यूनीवर्सिटी के नेतृत्व वाले दो अध्ययनों ने देरी से यानी थोड़ा रुक कर कॉर्ड क्लैम्पिंग से होने वाले फायदों पर जोर दिया यह पाया गया है कि जन्म लेते समय प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों की गर्भनाल को क्लैंप करने के लिए कम से कम 2 मिनट तक इंतजार करने से बच्चे की मृत्यु का जोखिम कम हो सकता है। जन्म के तुरंत बाद प्रीमेच्योर जन्मे बच्चे की गर्भनाल को तुरंत क्लैंपिंग करने की तुलना में यदि दो मिनट या उससे ज्यादा समय तक इंतजार किया जाए तो इससे मृत्यु के जोखिम को कम किया जा सकता है। क्लैम्पिंग में देरी करने से तत्काल क्लैम्पिंग की तुलना में बच्चे की मृत्यु का जोखिम बहुत हद तक कम हो सकता है।
एनएचएमआरसी क्लिनिकल ट्रायल सेंटर, सिडनी यूनीवर्सिटी में पहली ऑथर डॉ. अन्ना लेने सीडलर कहती हैं कि दुनिया भर में हर साल लगभग 13 मिलियन बच्चे प्रीमेच्योर पैदा होते हैं और दुख की बात है कि लगभग 1 मिलियन बच्चे जन्म के तुरंत बाद मर जाते हैं। हमारा नया निष्कर्ष जो आज तक का सबसे बड़ा सबूत हैं कि गर्भनाल को क्लैंप करने में कुछ समय का इंतजार करने से प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों की जान बचाने में मदद मिल सकती है। हम पहले से ही अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन डेवलपर्स के साथ काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये निष्कर्ष आने वाले समय में नई गाइडलाइन और क्लिनिकल प्रैक्टिस में कारगर हो सकें।
आज द लांसेट के दो सहयोगी पत्रों में हजारों प्रीमेच्योर जन्में शिशुओं जिनकी गर्भनाल को थोड़ा समय रुक कर क्लैंप किया गया और उनकी तुलना में जिनकी कॉर्ड को जन्म के तुरंत बाद ही क्लैंप कर दिया गया। उन सभी के क्लिनिकल परीक्षण डेटा और जांच के परिणामों के नए निष्कर्षों को प्रकाशित किया गया। गर्भनाल की देर से की गई क्लैंपिंग से नाल से शिशु तक रक्त प्रवाह आसानी से होता है जब शिशु के फेफड़े हवा से भर जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि गर्भनाल को देर से क्लैंपिंग करने से शिशु को सांस लेने में मदद मिलती है।
पूर्ण अवधि में जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए कुछ देर रुक कर गर्भनाल क्लैंपिंग करने को नियमित अभ्यास में लाने की सिफारिश की जा रही है। हालाँकि, सिडनी यूनीवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए परीक्षणों सहित पिछले शोध ने प्रीमेच्योर जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए इसके संभावित लाभ दिखाए थे। लेकिन उन्हें अमल में लाना मुमकिन नहीं हो सका। हाल तक, चिकित्सक आमतौर पर प्रीमेच्योर जन्मे शिशुओं की नाल तुरंत काट देते थे ताकि तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जा सके।
इन अनिश्चितताओं के कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइंस में अलग-अलग सिफारिशें की गईं। उदाहरण के लिए, समय से पहले जन्मे शिशुओं को जन्म के समय पुनर्जीवन की जरूरत नहीं होती है ऑस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड पुनर्जीवन समिति कम से कम 30 सेकंड के लिए गर्भनाल क्लैंपिंग में देरी करने का सुझाव देती है।
वर्ड्ए हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और यूके का नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस बेहतर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और पोषण परिणामों के लिए गर्भनाल को देरी से क्लैंपिंग करने की सलाह देते हैं।
पुनर्जीवन की जरूरत वाले प्रीमेच्योर जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए, डबल्यूएचओ तत्काल क्लैंपिंग की सिफारिश करता है, जबकि एएनजेडसीओआर सटीक साक्ष्य न होने के कारण कोई सिफारिश नहीं करता है।
अब तक का सबसे बड़ा विलंबित कॉर्ड क्लैम्पिंग डेटासेट ये अध्ययन गर्भनाल प्रबंधन पर 100 से भी ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के बीच एक बड़े वैश्विक प्रयास (आई सीओएमपी सहयोग) का परिणाम था, जिन्होंने विश्लेषण के लिए डॉ. सीडलर और उनकी टीम के साथ अपना मूल डेटा साझा किया, जिसमें सिडनी यूनीवर्सिटी द्वारा किया गया बड़ा एपीटीएस परीक्षण भी शामिल था।
इसने इस रिसर्च फील्ड में सबसे बड़े डेटाबेस को बनाया, जिसमें 60 से भी ज्यादा अध्ययन और 9000 से भी ज्यादा बच्चे शामिल थे। 20 अध्ययनों में 3,292 शिशुओं के डेटा का उपयोग करने वाले पहले पेपर में पाया गया कि गर्भनाल को देरी से क्लैंपिंग किया गया। जन्म के बाद 30 सेकंड या उससे ज्यादा समय के बाद क्लैंपिंग किया गया, जिससे प्रीमेच्योर जन्म लेने वाले शिशुओं में मृत्यु का जोखिम उन शिशुओं की तुलना में एक तिहाई कम हो गया, जिनकी गर्भनाल को जन्म के तुरंत बाद क्लैंपिंग किया गया था।
प्रीमेच्योर जन्मे शिशुओं के एक उपसमूह में, जहां शिशु गर्भावस्था के 32 सप्ताह से पहले पैदा हुए थे, उनमें तत्काल गर्भनाल क्लैंपिंग वाले 44.9 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के बाद हाइपोथर्मिया का अनुभव हुआ, जबकि देरी से क्लैंपिंग वाले 51.2 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के बाद हाइपोथर्मिया का अनुभव हुआ। देरी से की गई क्लैंपिंग समूह और तत्काल क्लैंपिंग समूह के बीच तापमान में औसत अंतर -0.13 डिग्री सेल्सियस था।
एनएचएमआरसी क्लिनिकल ट्रायल सेंटर के अध्ययन के सीनियर ऑथर प्रोफेसर लिसा अस्की का कहना हैं की “हमारे निष्कर्ष इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भनाल की क्लैंपिंग करते समय प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों को गर्म रखने के लिए उसकी खास देखभाल की जानी चाहिए। जिसे बच्चे को सुखाकर और नाल से लपेटकर किया जा सकता है, और फिर सूखे बच्चे को कंबल के नीचे सीधे मां की नंगी छाती पर रखकर, या बेडसाइड वार्मिंग ट्रॉली का इस्तेमाल करके किया जा सकता है।
दूसरे पेपर में 47 क्लिनिकल परीक्षणों के डेटा का विश्लेषण किया गया, जिसमें लगभग 6,094 बच्चे शामिल थे, और पाया गया कि प्रीमेच्योर जन्मे बच्चे की नाल की क्लैपिंग तुरन्त करने की बजाए यदि पहले कम से कम दो मिनट तक इंतजार करने के बाद क्लैंपिंग की जाए तो इससे मृत्यु का जोखिम कम हो सकता है।
अलग-अलग समय की तुलना करने पर, गर्भनाल की क्लैंपिंग करने के लिए दो या अधिक मिनट तक इंतजार करने से जन्म के तुरंत बाद मृत्यु को रोकने के लिए सबसे अच्छा उपचार होने की 91 प्रतिशत संभावना थी।
मृत्यु को रोकने के लिए तत्काल क्लैंपिंग सबसे अच्छा उपचार होने की संभावना बहुत कम (ढ1ः) थी।
इस अध्ययन के प्रमुख सांख्यिकीविद् और एनएचएमआरसी क्लिनिकल ट्रायल सेंटर के रिसर्च फेलो डॉ. सोल लिब्समैन कहते हैं कि हाल तक, प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल की क्लैंपिंग करना आम बात थी ताकि उन्हें सुखाया जा सके, लपेटा जा सके और यदि जरूरी हो, तो आसानी से पुनर्जीवित किया जा सके। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि अब तुरन्त क्लैंपिंग का कोई मतलब नहीं है, इसके बजाय, वर्तमान में मिले सबूत बताते हैं कि कम से कम दो मिनट कॉर्ड क्लैंपिंग को देर से करना प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों के जन्म के तुरंत बाद मरने के जोखिम को कम करने के लिए सबसे अच्छी कॉर्ड प्रबंधन रणनीति है।
हालाँकि, शोधकर्ता उन स्थितियों पर भी प्रकाश डालते हैं जहां कॉर्ड क्लैंपिंग पर अधिक शोध की जरूरत है। खास तौर पर तब, जब शिशुओं को तत्काल पुनर्जीवन की जरूरत होती है, जब तक कि अस्पताल गर्भनाल बरकरार होने पर, या सीमित चिकित्सा संसाधनों के साथ कम आय वाली सेटिंग में सुरक्षित प्रारंभिक सांस लेने में सहायता प्रदान करने में सक्षम न हो।
डॉ सीडलर कहते हैं की हमें इस बारे में और शोध की जरूरत है कि गर्भनाल बरकरार रहने के दौरान बीमार प्रीमेच्योर जन्मे बच्चों को सर्वोत्तम देखभाल कैसे दी जाए। यहां तक कि प्रीमेच्योर स्वस्थ शिशुओं के लिए भी, जब बच्चे को खास देखभाल की जरूरत होती है, तो कॉर्ड क्लैंपिंग को थोड़ी देर के लिए रोका जाना कुछ डॉक्टरों को सही लग सकता है, लेकिन उचित प्रशिक्षण और उपकरणों के साथ-साथ दाइयों, डॉक्टरों और माता-पिता की पूरी टीम के दृष्टिकोण के साथ ही यह सफलतापूर्वक संभव हो सकता है। यह सुनिश्चित करते हुए कि बच्चा गर्म है, सांस ले रहा है और उसकी देखभाल की जा रही है, कॉर्ड क्लैंपिंग को थोड़ी देर के लिए टला जा सकता है।

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