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राष्ट्रीय खेलों में पिट्ठू को शामिल करने से खुलेंगे अंतरराष्ट्रीय द्वार

– प्रधानमंत्री भी कर चुके है मन की बात में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की बात

– भारतीय ओलंपिक संघ पर निगाहें, राष्ट्रीय खेलों में शामिल करने प्रयास

देहरादून। भारतवर्ष के सबसे पुरातन काल से खेले जा रहे पारंपरिक सामूहिक खेल पिट्ठू को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रीय खेल महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मन की बात में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की बात कह चुके हैं। उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों में इस खेल को शामिल कर लिया जाता है तो यह हमारे प्राचीन खेलों को विश्व मंच तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

रविवार को प्रेस क्लब में उत्तराखंड पिट्ठू एसोसिएशन की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में एसोसिएशन के सचिव अश्वनी भट्ट ने पिट्ठू को राष्ट्रीय खेलों में शामिल करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि ट्रेडिशनल गेम्स एसोसिएशन और उत्तराखंड पिट्ठू एसोसिएशन लंबे समय से पिट्ठू खेल के प्रोत्साहन के लिए प्रयास कर रही हैं। पिट्ठू फेडरेशन ऑफ इंडिया और एसोसिएशन भारतीय ओलंपिक संघ से पारंपरिक खेल पिट्ठू को उत्तराखंड में होने वाले 38वें राष्ट्रीय खेलों में शामिल करने का अनुरोध कर चुकी हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और खेल मंत्री रेखा आर्या भी कई बार खुले मंच से पिट्ठू को राष्ट्रीय खेलों में शामिल करने का अनुरोध कर चुके हैं। प्रधानमंत्री की मन की बात और प्रदेश के मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार को समझते हुए फेडरेशन और एसोसिएशन को पूरी उम्मीद है कि भारतीय ओलंपिक संघ प्राचीन पारंपरिक खेल पिट्ठू को राष्ट्रीय खेलों में शामिल करेगा।

बताया कि फेडरेशन की 24 यूनिट पूरे देश में पिट्ठू को बढ़ावा देने का कार्य कर रही हैं। इस खेल की विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है। जिसके आधार पर यदि राष्ट्रीय खेलों में पिट्ठू को शामिल किया जाता है तो आयोजन में किसी तरह के समस्या नहीं आएगी। मुख्यमंत्री और खेल मंत्री ने भी कहा है कि उत्तराखंड पिट्ठू के आयोजन के लिए तैयार है।

एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद चंद पांडे ने कहा कि अन्य देशों की तरह हमें भी अपने पारंपरिक खेल पिट्टू को बढ़ावा देना होगा ताकि इसे आने वाले समय में ओलंपिक तक पहुंचा सकें। अन्य देश अपने पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देते हुए उन्हें ओलंपिक तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन हम अपने पारंपरिक खेलों को अपने ही देश में बढ़ाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं। इस मौके पर उत्तराखंड पारंपरिक एसोसिएशन के सह सचिव गौरव गुलेरी, देहरादून पारंपरिक एसोसिएशन के सचिव विनोद पंवार, शशांक उनियाल, अमन रतूड़ी, मनिंदर लडोला आदि मौजूद रहे।

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